गरीब

कट रही है ज़िन्दगी सफ़र में, दुनिया के रंगों को देखता हूँ मैं। ख़ुशबू अलग-अलग है हर चमन की, बस ग़रीबों को पिसता देख रहा हूँ मैं। सड़क हो या महल की दीवारें, मुफ़लिसी की सदा हर सिम्त पुकारे। ना रोटी मुक़द्दर में, ना सुकून कोई, हर कोना जैसे ज़ुल्मों का अफ़साना उभारे। बचपन खेल […]

अनहोनी एक अंदेशा

विषय – अनहोनी : एक अंदेशा लफ्ज़ों से बयां हो हर बार परेशानियां जरूरी तो नहीं , कभी – कभी कोई अनकहा एहसास ही काफी होता है , कभी घबराहट सी महसूस होती है तो कभी चैन नहीं मिलता , दिल ही दिल में किसी होने वाली अनहोनी का अंदेशा होता है । एक मां […]

अनहोनी, एक अंदेशा

अनहोनी , एक अंदेशा – प्रशांत कुमार शाह ना ज़िंदगी का कुछ पता है, ना अब किसी से कोई ख़ता है। जो होना है वो होगा ही अब, बस देखा जाएगा तब का तब। हर अनहोनी का अंदेशा होता है, इसके बाद इंसान ख़ूब रोता है। पर इस पर अब ज़ोर किसका है, ये तो […]

अनहोनी, इक अंदेशा

प्रतियोगिता ~ बोलती कलम विषय ~ अनहोनी , इक अंदेशा कल नही तो आज होगा , होगा वही जो होना होगा , फल की इच्छा की है तो बीज भी अच्छा बोना होगा , अनहोनी जब होती है, हम निःशब्द और दिमाग शून्य हो जाता है , हमारे सारे कर्मो का परिणाम ही हमारे खाते […]

अनहोनी, एक अंदेशा

जब हवा में अजीब सी गंध हो, और समय ठहरा सा लगे, तब मन में उठता है एक प्रश्न, क्या अनहोनी दस्तक दे रही है? पर क्या हर अनहोनी पहले से चेताती? या फिर वह अचानक से आ जाती! निर्दयी, अचंभित कर देने वाली, जैसे बिजली गिरती है साफ़ आसमान पर। वातावरण में सहसा पक्षियों […]

अनहोनी, एक अंदेशा

अनहोनी, एक अंदेशा किस्मत के आगे कब किसकी चलती है, इंसां है महज पुतला,बस यही कहती है… अभिलाषाये, इच्छाएं तो सब में होती है, वक़्त है कहता,उसपे किसकी चलती है… .. जीवन है संघर्ष सारी कहानियाँ कहती है, अल्फाज है सुकून,दुनियां बेरहम लगती है.. वक़्त भी है अजीब, लगाम खींच रखता है, राजा कब रंक […]

अनहोनी इक अंदेशा

कभी – कभी कुछ होने से पहले ही हमें पता चल जाता हैं , वक्त भी किसी ना किसी बहाने से हमें अंदेशा दे जाता हैं , किसी भी रूप में आकर हमारे अंतर्मन को हिला जाता हैं , होनी और अनहोनी के मध्य का अंतर हमें बता जाता है । एक बच्ची पूछती हैं […]

अनहोनी, एक अंदेशा

प्रतियोगिता: “बोलती कलम” Topic “अनहोनी, एक अंदेशा” वो अनहोनी एक अंदेशा थी, जो दिल को हिला दे, पहलगाम की वादियों में खून की धारा बहा दे। शहीदों के परिवार की आँखों में आंसू की धारा बहा दे, अरमानों के बिखरने की दास्तान बना दे। सपनों की सिलवटें मिटी नहीं अब तक, फैसले जो लिए थे, […]

अनहोनी,”एक अंदेशा”

फ़ौजी का परिवार। माना देश सर्वोपरि है लेकिन बेटा धर्म निभाओ तुम, कैसा है मेरा बेटा आकर के बात अपनी सुनाओ तुम, मेरे नयन तरस गए हैं तुझे एक नजर देखने के लिए, न हो जाए कोई *अनहोनी* बेटा शक्ल दिखाओ तुम। एक बूढ़ी मां है उसकी इस बात को याद रखना तुम मेरे घर […]

जलवायु परिवर्तन , जिंम्मेदार कौन

प्रतियोगिता – बोलती कलम विषय – जलवायु परिवर्तन ,कौन जिंम्मेदार…. यूँ मौन चुप चाप खड़ी प्रकति कर रही सवाल , हरी भरी थी मैं कभी चारो और था हरा जाल , क्यों की तुमने पेड़ो की कटाई क्यों ये जंगल काटे , सीमेंट कंक्रीट बिछाकर मेरे आँचल मे ये दुःख बांटे । ग्लोबल वार्मिंग के […]