प्रतियोगिता – बोलती कलम
विषय – जलवायु परिवर्तन ,कौन जिंम्मेदार….
यूँ मौन चुप चाप खड़ी प्रकति कर रही सवाल ,
हरी भरी थी मैं कभी चारो और था हरा जाल ,
क्यों की तुमने पेड़ो की कटाई क्यों ये जंगल काटे ,
सीमेंट कंक्रीट बिछाकर मेरे आँचल मे ये दुःख बांटे ।
ग्लोबल वार्मिंग के तांडव से
सहचर प्रजातियां विलुप्त हो रही ,
ऑक्सीजन मास्क लगा , शुद्ध वायु खो रही ,
हो रहा *जलवायु परिवर्तन , कौन जिम्मेदार* , …है इसका ?
मानव कर रहा नित नए अविष्कार ,
बढ़ती जनसंख्या , कृषि का घटता विस्तार ,
रोज निर्मित होते नए – नए मकान , वृक्ष कटते , जलाशय घटते ,
हम सब है इसके जिंम्मेदार मची है हाहाकार ।
प्रगति कर इंसान तो जा पहुँचा आसमान ,
मगर प्रकृति क्यूँ नाराज है हम ये भी तो जाने ,
निकल रहा कल कारखानों से धुआं ही धुआं ,
आबो हवा की हुई दुर्दशा , ये ज्ञान क्यों न हुआ ।
हर घर मे जा पहुँचा है अब ये ऐशो आराम ,
हर घर नजर आता है वातानुकूलित समान ,
क्यों खुद के सुख का पाला हमने इतना अरमान ,
निकले ओजोन जैसी गैस ये मौत का है पैगाम ।
अनियंत्रित औधोगिकरण से अवशोषक तड़प रहे ,
धुएं की परतों से धरा है बहुत परेशान
दिनों दिन बढ़ रहा विश्व का तापमान ,
हो रहा है जलवायु परिवर्तन बदल रहा मौसम बेमौसम ।
अब जागो सभी , हम , तुम और आप ,
जिंम्मेदार है जलवायु परिवर्तन के लिए सभी जनाब ,
संसाधन हर तरह से सुरक्षित बने रहे ,वायुमंडल की रक्षा हो ,
प्रगति का पथ कभी इंसान का दुश्मन न हो ।
®©Parul yadav ~
Round ~ third
Alfaaz -e- sukoon