शीर्षक: भीगते जज़्बात ✍️ लेखक: ऋषभ तिवारी 🖋️ Pen Name: लफ़्ज़ के दो शब्द
आईना
*आईना सफलता की पूंजी है*:- आईना मेरी पहचान ;कैसे बना?? साल *2013 जून* महीने की बात है!! जिंदगी !! में जहां हर जगह खुद को *आज़मा* लिया था, मैंने! जिंदगी से *अलग सी रहने* लगने का मोड़ आया था?? मैं जो भी *आत्मविश्वास से भरी सुरभि* आज बनी हूं..।। बखुबी में *”आइने से सिखाई”* राह […]
खुद से संवाद
टॉपिक ___ खुद से संवाद सुनो यारा जब से जिंदगी से तुम्हारा जाना हुआ है, क्या कहूं कि मेरा ये दिल मुझसे अनजाना हुआ है। तुम कभी नहीं आओगी ये इल्म रहेगा मुझे लेकिन, दिल के मंदिर में बस तुम्हारा आना जाना हुआ है। मैंने खुद को झूठी तसल्ली भी देना बंद कर दिया है, […]
आइने
आइने के टुकड़ों में दिखते हैं रूप अनेक कुछ सच्चे कुछ झूठे किस्से है अभेद हर टुकड़ा बताता है अपना स्वरूप कुछ हंसी कुछ वीरानी लिए चेहरे पर लगते है चेहरे अनेक खा कर धोखा मै खुद को न पहचान पाई जब चेहरे पर चेहरा नया चढ़ जाए आइने तो है ऐसा लेकर बैठा रहस्य […]
खुद से संवाद मेरा आईना
प्रतियोगिता : आइने की बात विषय : खुद से संवाद देख कर आईने में खुद को, मैं खुद से मिला करती हूं । कभी ग़म, कभी खुशियां तो कभी उदासी को परखा करती हूं। जब रूठ जाती हूं मैं सबसे तो ,उस आईने से छुपती हूं। लेकिन मेरी हर खुशी में मैं, आईने से बातें […]
ख़ुद का हूं मैं आईना
प्रतियोगिता- आईने की बात ” ख़ुद का हूं मैं आईना ” जब-जब मैं ख़ुद को देखा करती ख़ुद से ही बातें किया करती । ख़ुद ही बन जाती ख़ुद का आईना जब ज़िंदगी मुझसे दगा करती ।। कह देती हूं दिल की सारी बात जब बिगड़ जाते जीवन के सारे हालात स्वयं को निहारती स्वयं […]
“ख़ुद से संवाद”
“ख़ुद से संवाद” थक गई थी हर रोज़ खुद को समझाने में, झूठी हँसी चेहरे पर सजाने में। हर सवाल से खुद को बचाती रही, भीतर की आहट को चुप कराती रही। दुनिया को दिखाया मजबूत सा चेहरा, पर अंदर से बिखरा था हर सवेरा। सब ठीक है ये रोज़ कहती रही, मगर सच्चाई से […]
खुद से संवाद
*खुद से संवाद* मन विचलित हो गर कभी , ख़ुद से बहुत बात करता हूँ ये भी एक अच्छा प्रक्रम है , जहां न कोई द्वेष, न कोई भ्रम है । कुछ सवाल साथ चलते हैं , हम पाते वही है जो करते हैं । इस बात से कोई मलाल नहीं , ख़ुद से बढ़कर […]
खुद से संवाद
आईने में ‘मुकुल’ जब भी खुद को स्वयं के सवालों से रूबरू करता है। जाने कैसे अपने ही दिल के जख्मों को बरबस छू लिया करता है।। शिकवों, उम्मीदों, उलझनों में छुपा रखा था जो सच उसने, पाकर आईने को अपने सामने नजरें वो झुका लिया करता है। कहाँ जाऊँ, किससे कहूँ अपने दिल की […]
प्रतियोगिता : आईना की बात “
विषय : खुद से संवाद मेरे घर के आईने में ही मेरा चेहरा दिखता है, बाक़ी बाहर तो लोगों को नकाब ही दिखता है… .. अक्सर तन्हाई में मुझसे बातें करते दिखता है, पूछता है सवाल,लोगों से क्यों उम्मीद रखता है… .. तुझे आता है लिखना, तुझे सब हूबहू दिखता है, इतना हॅसता चेहरा है,और […]