Category: Hindi Shayari

प्रतियोगिता : आईना की बात “

विषय : खुद से संवाद मेरे घर के आईने में ही मेरा चेहरा दिखता है, बाक़ी बाहर तो लोगों को नकाब ही दिखता है… .. अक्सर तन्हाई में मुझसे बातें करते दिखता है, पूछता है सवाल,लोगों से क्यों उम्मीद रखता है… .. तुझे आता है लिखना, तुझे सब हूबहू दिखता है, इतना हॅसता चेहरा है,और […]

खुद से संवाद

प्रतियोगिता – आईने की बात विषय – खुद से संवाद बसर अपनी जिंदगी तो .. एक उम्र से कर रही हूं।। आज खुद के सामने मैं आईना.. कर रही हूं।। देखूंगी अपने चेहरे को शीशे में बार- बार… मैं अपनी जवानी की यादें ताज़ा कर रही हूं ।। रेशम सी थी जुल्फ़े कभी .. कभी […]

मन:दोस्त या दुश्मन?

मन दोस्त या दुश्मन आओ आज सभी को मन की बात बताते हैं, अवस्था के अनुसार मन की लीलाएं दर्शाते हैं, जैसी उम्र वैसी इच्छाएं होती जाती हैं मन की, आज इसके रूपों को विस्तार से समझाते हैं। बचपन में मन में बहुत सी लालसाएं जागती हैं, ज्ञानेंद्रियां इस मन को विचलित कर भागती हैं, […]

अनहोनी, एक अंदेशा

प्रतियोगिता: “बोलती कलम” Topic “अनहोनी, एक अंदेशा” वो अनहोनी एक अंदेशा थी, जो दिल को हिला दे, पहलगाम की वादियों में खून की धारा बहा दे। शहीदों के परिवार की आँखों में आंसू की धारा बहा दे, अरमानों के बिखरने की दास्तान बना दे। सपनों की सिलवटें मिटी नहीं अब तक, फैसले जो लिए थे, […]

“जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?”

प्रतियोगिता: बोलती कलम विषय : जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार राउंड 3 सवाल एक ही उठता है बार-बार, “जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?” धुआं उड़ाता हर कोना, ये हवा हुई ज़हरीली, फेफड़े झुलसते जाते है अब, सांसें लगती हैं कटीली। पानी में बहता कलुष, नदियों का रोना है, कारखानों के विष से हर कोना सलोना है। कभी […]

कलम की धार, तलवार से तेज़

कलम की धार, तलवार से तेज़ लिखने को लिख दूँ मैं पूरी कायनात, साथ कलम के चलें मेरे ही अपने जज़्बात। कलम की धार की बात ही निराली है, जब चले पन्नों पर, बनती एक कहानी है। दिल के शोर का हुंकार है कलम, अपनों के लिए एक पुकार है कलम। इसकी धार से तलवार […]

कलम की धार, तलवार से तेज

कलम की धार, तलवार से तेज होती है, नतमस्तक दुनियां,आवाज गूँज उठती है… इंकलाब की लौ जला,पर्दाफास करती है, चुप रहती है और फिर कत्लेआम करती है… .. कलम गुलाम नहीं, ये तो स्वछंद चलती है, प्रेम रस, विरह रस, कभी विद्रोह करती है… प्रजातंत्र में जान फुक,उसे सशक्त करती है, कलम जबाब मांगती, ये […]

कलम की धार तलवार से तेज़

प्रतियोगिता: “बोलती कलम” टॉपिक: “कलम की धार तलवार से तेज़” “कलम की धार, तलवार से तेज़”, इसकी नोक से निकले जो अल्फ़ाज़, बदल दे ये दुनिया, जगा दे आवाज़। बीती सदियों का क्या होता निशान, अगर न होती ये अक्षरों की ज़ुबान। कलम न लिखती गर इतिहास, तो गुम हो जाता हर एक राज़। तलवार […]

कलम की धार,, तलवार से तेज़

विषय _____कलम की धर,,, तलवार से तेज़ कलम की नोक में जबसे ये धार आई है तेज़ धार की तलवार डगमगाई है सलीका हमको बताया हिसाब करने का हमारे हक में जो होने लगी बुराई है तमाम हटने लगे चार साज़ी से पीछे जब अपने हक में हमने कलम उठाई है जब से समझ आई […]

मैं समय से शिकवा नहीं करता

खुला आसमान फिर भी यादों के बादल घेरे हुए हैं, चंद्रमा है आकाश में फिर भी रात में अंधेरे हुए हैं, देखता हूं तो कुछ दिखता नहीं मुझे कुछ शायद ये, सच है यार इन आंखों में बस तुम्हारे ही डेरे हुए हैं।। देखो काली रात के बाद से आज सुंदर सबेरे हुए हैं, इनकी […]