आइने

आइने के टुकड़ों में दिखते हैं रूप अनेक
कुछ सच्चे कुछ झूठे किस्से है अभेद
हर टुकड़ा बताता है अपना स्वरूप
कुछ हंसी कुछ वीरानी लिए
चेहरे पर लगते है चेहरे अनेक
खा कर धोखा मै खुद को न पहचान पाई
जब चेहरे पर चेहरा नया चढ़ जाए
आइने तो है ऐसा लेकर बैठा रहस्य
सच झूठ की परतों का खेल देख मै भी समझ न पाई
ए आइने तेरी क्या कहानी
बना दी तुमने दुनिया सारी दीवानी
अदिति जैन

Updated: June 27, 2025 — 7:31 am

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