*आईना सफलता की पूंजी है*:-
आईना मेरी पहचान ;कैसे बना??
साल *2013 जून* महीने की बात है!!
जिंदगी !! में जहां हर जगह खुद को *आज़मा* लिया था, मैंने!
जिंदगी से *अलग सी रहने* लगने का मोड़ आया था??
मैं जो भी *आत्मविश्वास से भरी सुरभि* आज बनी हूं..।।
बखुबी में *”आइने से सिखाई”* राह पर चली हूं ।।
मैंने खुद की खूबियां ढूंढने के लिए,
खुद को हर तरह से *आज़माती* रही,
तब जाकर मैंने अपने *क़लम की कलाकृति* को अपनाया।।
हर रोज़ खुद को *आईने के सामने* रखकर सही रास्ता दिखाने को ,
आज उस *आईने के साथ किया हुआ हर संवाद* सफलता दिलाते है,
क्यों?? क्योंकि *चेहरे पर नकाब हम इंसान* पहनते है;
आईना तो जो दिखता है;
*वही दिखाता है* क्योंकि आईना झूठ नहीं बोलता।।
तस्वीरें बदले, वक्त बदल गया,
पर !! आईना की सच्चाई कहने की बात आज भी न बदली ।।
*आईना मेरी पहचान, मेरी पूंजी है*।।
#Surbhiladha