खुद से संवाद

आइने की बात/प्रतियोगिता विधा/कविता खुद से संवाद आईना भी पूछता है कैसे खुश रहते हो तुम । और सबकी बात कड़वी किस तरह सहते हो तुम ।। आंँसुओं को आंँख से कैसे भला हो रोकते । गलतियां पर क्यों नहीं अपनों को हो तुम टोकते। बंधनों की बेडियो में बंध तुम रहते सदा । औरों […]

क्षणिकता का चित्र/नक्श -ए -उम्र रेत पर

विषय – क्षणिकता का चित्र / नक्श -ए -उम्र रेत पर हथेली मे थमी थी कुछ रेत की लकीरें, वो भी अब वक़्त की तरह फिसलने लगी हैं, झुर्रियों मे छुपी है बीते लम्हों की तस्वीरें, जो आंखों के सामने होकर भी धुंधली सी लगती हैं। एक हाथ मे थमी है रेतघड़ी पुरानी, टिक-टिक मे […]

आदमी चुतिया है.

आदमी चुतिया है… बीवी को कहे — घर बैठ, “बहू का धर्म है चुप रहना”, खुद चले क्लब में ठुमके लगाने, और कहे — “मर्द का तो हक़ है जीने का!” आदमी चुतिया है… बेटा फेल हो तो बोले — “सिस्टम ही सड़ा हुआ है!” पड़ोसी की बेटी टॉपर हो जाए, तो बोले — “कुछ […]

सबका इंतजार करती मां

प्रतियोगिता – बागवान विषय – सबका इंतजार करती मां सबको भोज खिला कर खुद भूखी सोती मां घर में सब जब सो जाते चुपके से हैं रोती मां बूढ़ी आँखें रास्ता देखें अपने लाल दुलारों का बैठकर दहलीज पर सबका इंतजार करती मां जन्म देने को तुझे प्रसवपीड़ा भी हैं वो उठाती बनाकर आंचल का […]

बदलाव की आंधियां

प्रतियोगिता – बूझो तो जाने विषय – बदलाव की आंधियां *Not for Marking* थामी हैं कलम तो क्रांति भी हमे लानी होगी अन्याय के विरुद्ध आवाज़ हमे उठानी होगी कलम ही जरिया हैं बदलाव का एक शिवोम बदलाव की आंधियां भी हमे लानी ही होगी धर्म कोई हो साथ मिल देश को आगे बढ़ाना एकता […]

मन दोस्त या दुश्मन

हे मानव! मैं मन बस अपनी ही तुझपे मैं चलाता हूं , लोभ माया सही गलत के पहलू में तुझे फंसाता हूं , मेरी माया हैं बड़ी अनोखी मायाजाल मैं फैलाता हूं , कितने कठिन जतन करता तब मैं मन कहलाता हूं । धन बढ़ते ही तेरे पास, मैं लोभी मन बन जाता हूं , […]

मन दोस्त या दुश्मन

विषय – मन दोस्त या दुश्मन ये मन का ही तो खेल है सारा , इस मन की बातें जाने कौन , मन की चंचलता के आगे विवश हो मानव रहता मौन, कहते हैं कि सुन लो मन की जब समझ नहीं आए कुछ भी, क्यों फिर तेरे खातिर निर्णय सारे लेता कोई और …? […]

मन:दोस्त या दुश्मन?

मन दोस्त या दुश्मन आओ आज सभी को मन की बात बताते हैं, अवस्था के अनुसार मन की लीलाएं दर्शाते हैं, जैसी उम्र वैसी इच्छाएं होती जाती हैं मन की, आज इसके रूपों को विस्तार से समझाते हैं। बचपन में मन में बहुत सी लालसाएं जागती हैं, ज्ञानेंद्रियां इस मन को विचलित कर भागती हैं, […]

मन, दोस्त या दुश्मन

भावों की लहरें, उमंगों की धार, गहराइयों में छिपे अनगिनत विचार। कभी चुपचाप, कभी प्रचंड, अनवरत चलता इसका द्वंद्व। उठती तरंगें, बहती हवाएँ, कभी सुलझे, कभी उलझ जाएँ। आशाओं की बूँदें गिरें, तो नवसृजन की राहें मिलें। निर्णय का पुल जब बनता है, हर संकट क्षीण सा लगता है। संयम इसकी रीढ़ बने, तो हर […]

मन दोस्त या दुश्मन ?

मन दोस्त या दुश्मन ? जिंदगी एक सुहाना सफ़र है, खुशियाँ है,कभी यहां ग़म है… दिल है चंचल, करता बवाल, मन का कहा,दिल भी माने है… .. मन की सुनना है बहुत जरूरी, मन में दृढ़ता होना है जरूरी… मन अधीन विचार रहे प्रबल, मन है संतुष्ट, जीवन में संयम… … मन है दोस्त, मन […]