मन दोस्त या दुश्मन ?
जिंदगी एक सुहाना सफ़र है,
खुशियाँ है,कभी यहां ग़म है…
दिल है चंचल, करता बवाल,
मन का कहा,दिल भी माने है…
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मन की सुनना है बहुत जरूरी,
मन में दृढ़ता होना है जरूरी…
मन अधीन विचार रहे प्रबल,
मन है संतुष्ट, जीवन में संयम…
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मन है दोस्त, मन है विचारक,
मन के हारे हार,मन के जीते जीत…
मन में राम बसे , मन है मंदिर,
मन है पवित्र, मन में है तीर्थ…
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मन से दिल करता है स्पन्दन,
मन अनुभूति है अभिव्यक्ति…
मन करता इच्छाएं जीवंत,
मन पे काबू ,इंसां बने महात्मा….
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मन विचलित, मन पे ना संयम,
कर्म सारथी, मन पे करे विचरण…
मन लगा राधे में, कर जाप तू,
राधा नाम से,भव से तर जा तू….
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मन हो विचलित तो बने दुश्मन,
इच्छाएं हो हावी,मन बने पापी….
सोच-बिचार सके ना कर्मफल,
मन की अधीनता तो है घातक….
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मन में लालच,कारण पतन का,
मन में क्रोध, रास्ता अधर्म का…
मन में वासना, है अंत प्रेम का,
मन में प्रेम,रास्ता सुगम मंजिल का…
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कबीर है सुनता,करता मन की,
जीवन सार मिलता,करके मन की…
~Kabir pankaj
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