शीर्षक – “कौन हूँ मैं”
पांच तत्वों से मिलकर बना माटी का देह ये,
इक दिन इसी मे मिल जाना है,
पूछते हो “कौन हूँ मैं”….?
क्या इसका सटीक उत्तर आज तक कोई दे सका है?
सब मोह-माया की इस नगरी मे
लीन ऐसे हो गए है,
इस मानव देह को नश्वर समझ के भी इक भरम् मे जी रहे है,
धर्म- अधर्म के बीच का अंतर भी खुद मे खोते जा रहे है,
पूछते हो ” कौन हूँ मैं “…?
क्या इसका सटीक उत्तर आज तक कोई दे सका है?
सुना है, परमात्मा के अंश हम जिसे आत्मा कहते है,
जो हर जीव मे वास करती ,
जो कभी मरती नहीं, न हीं जन्म लेती है,
वो शाश्वत है, अमर है जो हर क्षण देह बदलती है,
पूछते हो “कौन हूँ मैं”…?
क्या इसका सटीक उत्तर आज तक कोई दे सका है ?
जितना भी इसे समझने का प्रयास करो उतना ही उलझता जाता हैं,
जन्म- मृतु का रहस्य ये बिल्कुल समझ से परे हो जाता हैं,
पूछते हो ” कौन हूँ मैं “….?
क्या इसका सटीक उत्तर आज तक कोई दे सका है?
✍️स्वीटी मेहता
धन्यवाद 🙏🙂