आईने में ‘मुकुल’ जब भी खुद को स्वयं के सवालों से रूबरू करता है।
जाने कैसे अपने ही दिल के जख्मों को बरबस छू लिया करता है।।
शिकवों, उम्मीदों, उलझनों में छुपा रखा था जो सच उसने,
पाकर आईने को अपने सामने नजरें वो झुका लिया करता है।
कहाँ जाऊँ, किससे कहूँ अपने दिल की ये दास्तां,
हर शाम अपने दर्पण से ही इस जिक्र को वो किया करता है।
वो ख्वाब जो अधूरे रह गए उसके, याद आते हैं,
उनको फिर से पूरे करने की दुआ वो अपने ईश्वर से किया करता है।
राहें भटकती हैं जब, तब वो खड़ा होकर अपने दिल को थाम लेता है।
जीत लेंगे हम भी इस जहाँ को एक दिन, ये वादा वो हर रोज अपने अक्स से किया करता है।।
लेखक – Mukul Tiwari
विषय – खुद से संवाद
प्रतियोगिता – आईना की बात