कलम की धार तलवार से तेज

विषय – कलम की धार, तलवार से तेज

शब्दों का है खेल यहाँ विचारों का है जाल,
तलवार से भी पैनी होती है कलम की धार।
तलवार बड़ी-सी करती है देह पर गहरे घाव,
छोटी सी कलम पक्के करती मानवता के पाव।

कहते हैं “कलम की धार, तलवार से तेज” होती है,
बिना किसी डर के कलम अपनी बात कहती है।
कलम से ही है इतिहास हमारा और आने वाला कल लिखती है,
चुभ जातें हैं कभी शब्द जब कलम कड़वी पर सच्ची बात लिखती है।

छोटी सी ये कलम किसी के सुनहरे पंख भी बनती है,
जब बंद दीवारों में कोरे कागज़ पर सपने के रंग भरती है।
मैं शब्दों को पिरो स्याही से जीवन का आगाज़ करती हूँ,
कलम मेरी सखी अब मैं विचारों में जीती शब्दों से बात करती हूँ।

चाहे तो इतिहास बदल दे कलम इतनी ताकत रखती है,
किसी कमजोर की ताकत तो कभी खामोशी की आवाज बनती है।
कलम से ही लिखा शब्द कभी पत्थर की लकीर बनता है,
तभी तो “कलम की धार तलवार से तेज” हर शख्स ये कहता है।

कलम से निकली हर बात निराली,
कलम लिखती है हमारे जज्बात,
कलम से लिखें शब्दों का भार बहुत है,
चाहे देखने में लगते हो खाली से ख्यालात।

आज कलम की बात चली है,
लिखना है कलम ए कुछ खास,
यकीन मानिए मैं छुप सी लड़की थी,
कलम से ही मिली है मुझे आवाज़।

– नेहा प्रसाद ‘नेह’
राउंड सेकण्ड
प्रतियोगिता “बोलती कलम”
अल्फ़ाज़ ए सुकून।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *