विषय – कलम की धार, तलवार से तेज शब्दों का है खेल यहाँ विचारों का है जाल, तलवार से भी पैनी होती है कलम की धार। तलवार बड़ी-सी करती है देह पर गहरे घाव, छोटी सी कलम पक्के करती मानवता के पाव। कहते हैं “कलम की धार, तलवार से तेज” होती है, बिना किसी डर […]
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अजनबी अपने ही घर में
विषय- अजनबी अपने ही घर में है पास मेरे कहने को बहुत कुछ, पर आजकल मैं खामोश सी हो गई हूँ, गुम हूँ न जाने कौन सी दुनिया में, मैं अजनबी अपने ही घर में हो गई हूँ। कहने सुनने को कोई नहीं है अपनों में, इसलिए मैं कलम की अपनी सी हो गई हूँ, […]