अज़नबी अपने ही घर मे

अजनबी अपने ही घर में

अजनबी अपने ही घर में हो गए
अपने नाजाने किस दुनिया में खो गए……

इंटरनेट ने सभी को एक तरफा कर दिया ,घर घर की कहानी में सब को आइना दिखा दिया…..

हर कोई फोन का दिवाना बना दिया
रीयल को छोड़ कर, “बनावटी” को सच्चाई मान लिया..…

वियोज व फॉलॉवरज के चक्कर में
पता नहीं क्या – क्या कर रहे
सही व गलत का फर्क मिटा दिया…

हर कोई अपनों से बात करने को तरसा दिया ,बैठे हो चाहे साथ पर बात सॉशल पर करवा दिया….

घर – घर में बन गए सभी अजनबी
पर सोशल मीडिया सभी को चलाना
आ गया…..

अपने चाहे रूठ जाए कोई परवाह नहीं,
सोशल मीडिया ना रूठ जाए, हर एक में यह डर बिठा दिया….…

वाह! वाह! ये दुनिया कहाँ जा रही
बच्चे ,जवान और बूढ़ों को यह रास आ रही..…

अपनी बीवी को बहन , पड़ोसी की बीवी को लुगाई बता रहे, हे राम! यह कैसा जमाना आ गया…..

घर अपना बेगाना हो गया, नजाने यह
क्यों हो गया, अपना ही घर अजनबी हो गया………

इंटरनेट पर रोमांस भी जोर शोर से हो गया, इंसटा में नजरे मिली, फेसबूक में मोहब्बत का इज्हार हो गया………

वट्सअप पर शादी, सनैपचैट पर तलाक हो गया, हाय इंसान तुम ऐसा क्यों हो गया, अपने ही घर में अजनबी क्यों हो गया….

अगर किसी को अच्छा नहीं लगा , माँगती हूं माफ़ी , मलविंदर से अगर
कुछ बुरा लिख हो गया….…

स्वरचित रचना
मलविंदर कौर
एम एम एम एम एम मलविंदर
क्वालीफायर राउंड
बोलती कलम
अल्फ़ाज़ -e- सुकून

Updated: May 2, 2025 — 12:26 pm

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