Category: Hindi kavita

जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार

प्रकृति से छेड़छाड़ कर,कितना बदला है, कहीं पहाड़ काटे,कहीं जंगल से बर्बरता है… मानव खुद के सुकून खातिर खेल खेला है, जंगल में बसर कर, पशुओ को काटा है…. .. आधुनिकता के चक्कर में जहर उगला है, कारखानो का हरपल वायु दूषित करना है… रासायनों का प्रयोग, लालच का नतीजा है, अत्यधिक खनन कर,प्रकृति चक्र […]

जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार

हवा में घुलता धुआँ, पेड़ों का कटना, प्रकृति के आँसू, धरती का सिसकना। कड़ी धूप, कड़ी बारिश, करते बेकरार, जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार? कारखानों की चिमनी, उगलती ज़हर, लालच का धुआँ, बनाता है काला अंधड़। मानव की चाहत, विकास की होड़, पृथ्वी की छाती पर, दे रहा वो गहरी चोट। नदियाँ सूखतीं, समंदर उफनता, ग्लेशियर […]

“जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?”

प्रतियोगिता: बोलती कलम विषय : जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार राउंड 3 सवाल एक ही उठता है बार-बार, “जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?” धुआं उड़ाता हर कोना, ये हवा हुई ज़हरीली, फेफड़े झुलसते जाते है अब, सांसें लगती हैं कटीली। पानी में बहता कलुष, नदियों का रोना है, कारखानों के विष से हर कोना सलोना है। कभी […]

जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?

क्यों होता है ये जलवायु परिवर्तन,कौन जिम्मेदार? मनुष्य का प्रकोप कहूं या फिर कहूं अंधी सरकार, हमेशा ही तुम करते हो क्यों इसके साथ छेड़छाड़, जो मिला हमे भगवान से प्रकृति का सुंदर वरदान। तुम हमेशा काटते हो पेड़ों को अपने लाभ के लिए, क्या तुम्हे ज्ञात नहीं है पेड़ जरूरी हैं श्वास के लिए, […]

जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार कौन

धीरे धीरे विनाश की ओर , हम कदम बढ़ा रहे हैं, खेलकर प्रकृति से, मौत के और करीब जा रहे हैं, काट दिए सब वन और जंगल, पाट दिए नदी नाले, क्योंकर अपनी ही करनी पर , हम मुस्कुरा रहे हैं, दूषित करते हवा जल को, क्या कहेंगे आने वाले कल को, क्यों आने वाली […]

सिंदूर का बदला”

मेरी सिंदूर का बदला तो लिया जाएगा,उसे उसके घर में ही मारा जाएगा।जिसने छीन लिया मेरा सुहाग मुस्कुराकर,अब चैन से वो भी न जी पाएगा। वो दिन जब तिरंगे में लिपटी लौटी थी मेरी आस,साथ थे आँसू, चुप्पी, और दिल पर गहरा घाव।पर मैंने वादा किया था खुद से उसी रात,कि उसकी कुर्बानी न होगी […]

एक रणगाथा _ ऑपरेशन सिंदूर

✍️रचनाकार:adv. काव्य मझधार वीर रस काव्य: ऑपरेशन सिंदूर — एक रणगाथा जब क़दम बढ़े थे सिंहों के, बिजली काँप उठी थी, सीमा पर फिर भारत माता की जय गूंज उठी थी। धरती कांपी, गगन हिला, रणचंडी मुस्कुराई सिंदूर चढ़ा जब मस्तक पर, दुश्मन लहूलुहान छाई। ना था डर बम-बारूदों का, ना परवाह मौत की, हर […]

Not for marking

Not for marking कलम की धार तलवार से भी तेज हमें करनी होगी मिलकर हम कवियों को ही नई क्रांति लिखनी होगी देश में हो रहे कत्लेआम पे चुप रहे फिर वो कवि कैसा उठाकर कलम अब हर मुद्दे पे अपनी बात रखनी होगी दादा हरिओम पवार जैसे कई आदर्श हैं हमारे शिवोम सीख उन्हीं […]

कलम की धार, तलवार से तेज

विषय- कलम की धार, तलवार से तेज जो आवाज़ नहीं उठा सकते, उनकी कलम गुंजती हैं। जो चुप रहते है… उनकी कलम सशक्त हो जाती हैं। जो हिंसा नहीं करते, उनकी कलम ही क्रांति लाती हैं। अन्याय के अंधरो मे… सच्चाई की लौ जलाती हैं। इसलिए कलम की धार, तलवार से तेज कहलाती हैं…। इस […]

कलम की धार तलवार से तेज

कलम की धार तलवार से तेज है, आज के दौर में यह बात और भी स्पष्ट है। सोशल मीडिया पर कलम की शक्ति, लोगों के विचारों को बदल देती है। कलम से लिखे शब्दों का प्रभाव, तलवार की धार से कहीं अधिक है। यह न केवल विचारों को फैलाती है, बल्कि समाज को भी बदलने […]